हिंदी भाषा के कई जाने माने लेखक हुए है, जिन्होंने हिंदी की कई प्रेम प्रधान कविताये लिख कर जान सामान्य के प्रेम प्रदर्शन के मार्ग को प्रसस्त किया है, आखिर कवी के हृदय में क्या होता है जब वो प्रेम प्रधान कवियायें लिखता है, और किसकी छवि उसकी आँखों में होती होगी जब वो लिखता होगा, जैसे अभी नवोदित कवी कुमार विस्वास की एक कविता के धूम मचाई हुयी है जिसके बोल कुछ इस तरह से है
की कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की वैचेनी तो बस अम्बर समझता है
मेँ तुझसे दूर केसा हूँ तू मुझसे दूर केसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
इस कविता पहले कई कवियों शब्दो के जादू प्रेमी प्रेमिकाओं के ह्रदय की बातो को एक दूसरे तक पहुचाया उनमे से कुछ लेखको की कविताओ की कुछ लाइन
[१ ]
सर्व सार सौन्दर्य निहित हो तेरे अधरों पर आया
तू जल में थल नव में फिरती जैसे माया
न जाने कब किसे मिले तू
मुझको तो दिखती बस छाया
[२]
अम्बर का आधार तुम्ही हो
धरती की धारण क्षमता हो
निश्चल निर्मल प्रेम तुम्ही हो
तुम करुणा तुम ममता हो
ये कविताये शुद्ध कड़ी बोली की कविताये है और शुध्द परिष्कृत संस्कृत के शब्दो को समावेशित किया गया है, कुछ विद्वान अंग्रेजी के शब्दो के माध्यम से भी हिंदी की कविताये लिखते है, कुछ कविताये ऐसी भी है।
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