शनिवार, 9 जुलाई 2016

Article 370 kya hai

आर्टिकल 370 या धारा 370 क्या है । आम तौर और हर भारतीय ने इसके बारे में सुना जरूर होगा । मगर ये है क्या ये किसी को नही पता ।

कोई कहता है इसके कारण कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला है जिसे कोई नही हटा सकता है और कोई कहता है इसको केंद्र सरकार हटा सकती है ।

पर ये वास्तव में एक अस्थायी उपवन्ध है जो तत कालीन नेहरू सरकार और जम्मू कश्मीर के राजा हरी सिंह के कारण प्रकश में आई । हरिसिंह पाकिस्तानियो के डर से भारत में मिलना तो चाहता था पर वो अपनी स्वाधीनता भी नही खोना चाहता था । वो चाहता था को सत्ता की वास्तविक बाग डोर उनके हाथ में हो और उसकी सीमाये भारतीय संघ की सेनाओ के द्वारा सुरक्षित बनी रहे ।

बस इसी बात को उसने नेहरू को समझाया की जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है ये में मानता हूँ पर सत्ता वास्तविक रूप से जम्मू कश्मीर की जनता में निहित हो यानि की कुछ ऐसा किया जाये जिससे हमारी स्वाधीनता सुनिश्चित बनी रहे ।

और जब जम्मू कश्मीर की जनता को लगने लगे की उनकी स्वाधीनता का कोई अलग से अस्तित्व नही है तो वो अपनी इस स्वाधीनता को भारत सरकार को बापस लौटा दे ।

पटेल जी ने एक प्रिवी पर्स की सनकल्पना दी थी जो जयपुर अलवर और उदयपुर के शासको के लिए थी की उनके राजमहल और जनता उनकी ही रहेगी तथा भारत सर्कार की तरफ से उनको 1000000 रूपये सालाना पेंशन दी जायगी जो मेह्गाई के साथ बढ़ती जायेगी और उनके वंशजो को भी मिलती रहेगी जब तक वो खुद लिख कर दे न दे की हमे ये सुविधाये नही चाहिए ।

नेहरू और आंबेडकर ने काफी विचार विमर्श के बाद ये निष्कर्ष निकाला की जम्मू कश्मीर को आर्टिकल 370 यानि की धरा 370 के अंतर्गत विशेष राज्य का दर्ज दे दिया जाये जिसके नौषर जम्मू कश्मीर पर भारत सरकार का कोई भी नियम वाद्यकारी नही होगा । जब राज्य को ये दर्जा दिया जा रहा था तब किसी ने भी नही सोचा होगा की राजा हरिसिंह तो मात्र एक मोहरा था असली दिमाग तो वहाँ के अलगाववादियो का था ।

जैसे ही भारत की सन्सद ने धारा 370 लागू की जम्मू कश्मीर की विधान सभा ने कुछ नियमो को पारित किया जैसे की जम्मू में कश्मीर में आपातकाल नही लगेगा। यहाँ राष्ट्रपति शासन नाम से नही वल्कि राज्यपाल शासन लागु किया जायेगा । यहाँ का झंडा अलग होगा । यहाँ की विधान सभा 5 साल के बजाये 6 साल की होगी ।

ये नियम बना कर इस विधान सभा ने राष्ट्रपति को अनुमोदन के लिये भेजा जिसे राजेंद्र प्रसाद जी ने लौटा दिया । फिर ये लोक सभा और राज्य सभा होते हुए फिर से राजेंद्र प्रसाद के पास भेज दिया गया । भारतीय सम्बिधान के अनुशार इस बार राष्ट्रपति को इस पर हस्ताक्षर करना वाध्यता हो गयी थी ।

कुल मिला कर धारा 370 को पहले जम्मू कश्मीर की विधान सभा में हटाने के लिए बहुमत किया जायेगा फिर राष्ट्रपति इसको हटा सकते है ऐसा हमारा मीडिया हमको बताता है प्ऱ सच में ये एक अस्थायी धारा है जिसे पहले लोकसभा फिर राज्य सभा और फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद हटाया जा सकता है ।

जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है इसलिए इसकी धारा 370 को हटाने के लिए एक अध्यादेश ही काफी है ।बस कुछ दिन मीडिया सही जान कर दिखाने लगे तो इसको हटाने में सिर्फ 1 दिन लगेगा ।

आर्टिकल 370 या धारा 370 कुछ नही है सिर्फ एक आर्टिकल है जिसे भारतीय संसद कभी भी बहुमत से हटा सकती है बदल सकती है और पूर्ण या आंशिक संसोधन कर सकती है ।

तो दोस्तों ये है धारा 370 की असलियत आप और जानकारी के लिए दुर्गादास बसु या सुभास कश्यप के द्वारा विवेचित भारत के सम्बिधान का अध्ययन करके धारा 370 से जुडी सभी भ्रंतियो को नष्ट कर सकते है ।

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