शनिवार, 20 अगस्त 2016

बेटों का क्या दोष है

आज हमारा समाज बेटो को पूरी तरह से उपेक्षित महसूस कराने में लगा है । हर तरफ बस बेटियो के ही गूंज है । कही खबर आती है की डॉक्टर बेटी होने पर फीस नही लेता और पुरे अस्पताल में मिठाइयां बाट देता है । कही खबर आती है की बेटियो ने नाम रोशन किया । कही खबर आती है की इस गाव में बेटी होने पर मनाई जाती है खुसिया और बेटा होने पर मानता है मातम ।

आज काफी दिनों बाद मन बहुत उदास हुआ तो सोचा लिख ही डालू की बेटो का क्या दोष है अगर लोग चाहते है की उनके घर में बेटा हो । बेटा होना बेटे के लिए कोई सुख की सेज नही होती लोग बेटा इसलिए चाहते है की उनकी अपूर्ण इक्षाये पूरी हो सकते उसके काम में हाथ बताये व्यक्ति के बुढ़ापे का सहारा बने ।

अगर आप भी पुरुष है तो मेहसूस तो किया ही होगा की घर के बाहर लड़कियो के कारण लड़को को कितनी जिल्लत झेलने को मिलती है और ये जिल्लत देने वाले पुरुष ही होते है और अगर कुछ कहो तो एक ही जबाब अगर तुमारी बहिन होती तब भी क्या तुम यही कहते । ये एक ऐसा जबाब है जिसके बाद कोई लड़का पलट कर प्रश्न नही करता । पर आज तक किसी ने भी लड़को की इस होती बेज्जती पर किसी लड़की से पूछा की अगर ये सब तुम्हारे भाई के साथ होता तो क्या तुमको अच्छा लगता ।

मुखे किसी लड़की से उम्मीद भी नही है की वो ये कहेगी की अगर मेरे भाई के साथ होता तो मुझे बुरा लगता । हो सकता है लड़की खुद ही अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए बोल दे की मेरा भाई होता तो खुद ही सीट छोड़ देता या कुछ और भी बोल सकती है ।

ज्यादातर जिल्लत कॉलेज में या बस में सीट के लिए होती है । लडकिया आगे की सीट पर बैठेगी भले ही वो देर से आये और बस में कंडक्टर किसी को भी उठा देता था लेडीज को सीट देदो । वो एक तरफ नैतिकता के नाम पर हम पुरुषो से त्याग करबाता था वाही दूसरी ओर अगर लडकिया कुछ बेहतर कर पाती तो एक ही नारा होता था की हमने साबित क्र दिया की हम लड़को से कम नही है ।

पता नही वो कौन लोग है जो हमारे घरो में घुस कर लड़का और लड़की को या यु कहो की बहिन भाई को प्रतिद्वंदी बना गए । आज हर लड़की को लड़का एक चोर लुटेरा एयर बलात्कारी लगता है । कुछ कानून भी बन गए की अगर लड़की घुरि तो जेल । क्या है ये ये केसा लोकतंत्र है जहा समानता के नाम पर लड़को को निचा बनाया जा रहा है । 

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