भारत, जैसे ही नाम लेते है मन में कश्मीर से लेकर मुम्बई, कन्याकुमारी से होता हुआ मन असम और मेघालय का चक्कर मार कर उत्तराखण्ड के पास से होता हुआ फिर कश्मीर तक पहुच जाता है, पर कभी सोचा है की क्या सच में भारत ऐसा ही है जैसा हम एक बन्द कमरे में बैठ कर सोचते है, कभी निकल कर देखा है बाहर की ये वास्तव में कैसा है, क्या यह सब तरफ शांति है या फिर हर जगह अशांति है, आखिर देश केसा है, कहा है हम और क्यों है हम।
सच तो ये है की पूरा देश बहुत बदल गया है, देश कैसे बदलता है, जब लोगो की सोच बदल जाती है, पहले लोग तरक्की करते थे पर जैसे ही उनको लगता था की उनकी तरक्की किसी के लिए परेशानी बन सकती है वैसे ही वो रुक जाते थे, पर आज नही रुकते, और सच तो ये है की हम खुद भी कहा रुकते है, हमारा भी एकमात्र लक्ष्य आगे बढ़ना ही तो है, चाहे कैसे भी बढे, कोई भी कीमत चुकानी पड़े, पर बढ़ना है।
आज भारत देश में जितने जिले है किसी समय में यहाँ इतने राज्य हुआ करते थे, जिसमे स्थानीय राजा या सरदार अपना साम्राज्य चलाते थे, और आजु बाजु बाले से लड़कर शक्ति डबल थे या नष्ट कर लेते थे, कई सालो तक यही चलता रहा, सैनिक मरता रहा, जनता परेशान होती रही, फिर कुछ बदला या शायद सब कुछ बदल गया जब मुगल भारत में आये, वो कुछ ही थे, पर यहाँ की त्रस्त जनता उनको मशीहा मान बैठी क्योंकि उन्होंने स्थानीय राजाओ को उखाड़ दिया, पर वे मसीहा या हमदर्द नही थे, वो भी लुटेरे ही थे, पर उन लुटेरो का तरीके कुछ अलग था, इसलिए ज्यादातर निम्न दर्जे की जनता उनके साथ हो गयी और जब वे मंदिर तोड़ते तो ये लोग बड़े खुश होते, जब किसी राजा को मारते ये लोग जश्न मनाते और धीरे धीरे उन्होंने पुरे राज्यो को नष्ट कर दिया।
शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016
Benefits of Demonetization for India in Hindi
बैंक की लाइन में लग कर नोट बदलवा लेने से यानि की नोटबंदी देश में क्या हो रहा है।
1.बांग्लादेशी घुसपेटियो के पास आधार कार्ड नही होने की वजह से वे भूख के मारे वापिस भाग रहे है।
2. कश्मीर में अपनी सेना पर पत्थर फेंकने वालो को पैसा नही मिलने पर पत्थरबाजी बंद हो गयी है।
3. दाऊद अपना करोड़ो का कालाधन कौन से बैंक में चेंज करवाएगा।
4. नक्सलियों द्वारा लूटा गया पैसा खाद बन जायेगा। बिहार समाचार से जानिए
5. छोटे मोटे गैंगस्टर के पास करोड़ो रूपये पड़े पड़े खत्म हो जायेंगे, क्योंकि वो बैंक नही आ सकते।
6. खाड़ी देशों से आने वाला हवाले का रूपया खत्म।
7. सट्टै का सारा पैसा खत्म क्योंकि नयी करंसी सिर्फ एक्सेचेज करने वालो के पास है।
8. जिन्होने कमरे भर भर के पैसे इकठे किये वो लोग रो रहे है।
9. जिनके खुदरा काम करके भी टैक्स नही देने से महंगाई बढ़ गयी थी वो काबू में आ जायेगी।
10. पढ़े लिखे लोग अब प्लास्टिक मनी का उपयोग करेंगे।
इतने पर भी नरेंद्र मोदी जी अकेले गालियां खा रहे है।
मेरा आपसे अनुरोध है कि मोदी जी का समर्थन करें। कोई मोदीजी या मोदीजी के इस फैसले का विरोध करे तो उसे सही जवाब दें।
हमारे देश को सही दिशा में ले जा रहे है मोदी जी। कुछ बातें तो सचमुच गर्व करने योग्य हैं।
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे अपने ट्विटर पर मात्र 13 लोगों को फॉलो करते हैं उनमें से एक नरेंद्र मोदी हैं।
अमेरिका से मात्र 3 देश हॉटलाइन पर ट्रम्प या ओबामा से सीधे बात कर सकते हैं। उनमे से एक भारत है।
रूस के पुतिन से मात्र दो देश अमेरिका और भारत हॉटलाइन पर सीधे बात कर सकते हैं। जबकि अन्य देशों को ओबामा या पुतिन से बात करने के लिए 10 दिन पूर्व स्वीकृति लेनी पड़ती है।
और ये सब नरेंद्र मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हुआ है।
आप स्वयं भारत की बढ़ती हैसियत का अंदाज़ा लगाइये। कुछ लोग ५००-१००० के नोटों के विमुद्रीकरण पर जिओ, अम्बानी और RBI गवर्नर उर्जित पटेल के बारे में झूठी अफवाह फैला रहे हैं। सच्चाई यहाँ देखें :-
१. उर्जित पटेल 11 जनवरी 2013 (UPA/कांग्रेस सरकार के समय) से रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर हैं। इसलिए वरिष्ठ और योग्यता के आधार पर उन्हें ही गवर्नर बनाया गया।
मोदी सरकार ने तो केवल प्रमोशन दिया है। सरकार को पता था अगर सरकार किसी को भी अप्पोइंट करेगी तो विवाद होगा। सरकार ने विवाद से बचने के लिए ऐसा किया।
२. कुछ लोग उर्जित पटेल को मुकेश अम्बानी का बहनोई बता रहे हैं तो कुछ साडू बता रहे हैं। मुकेश अम्बानी की दो बहनें हैं, दीप्ति सलगावकर जिसके पति का नाम दत्ताराज सलगावकर है और नीना कोठारी जिसके पति श्याम कोठारी थे जिनका निधन हो चुका है।
मुकेश अम्बानी की पत्नी नीता अम्बानी की केवल एक बहन है जिसका नाम ममता दलाल है और उसने शादी नहीं की है। उर्जित पटेल का दूर दूर तक अम्बानी से कोई रिश्ता नहीं है।
३. मुकेश अम्बानी द्वारा जियो या अन्य किसी भी प्रोजेक्ट में लगाया गया पैसा रिलाइंस और उसके शेयर धारकों का है। यहाँ सारा लेन देन बैंकिंग प्रणाली के तहत होता है। सेबी, ट्राई और दूसरी सरकारी संस्थाओं की कड़ी निगरानी और नियमों के दायरे में होता है।
विरोधियों और कालाधन रखने वालों के भ्रामक प्रचार से बचें और लोगों को जागरूक बनाये
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1.बांग्लादेशी घुसपेटियो के पास आधार कार्ड नही होने की वजह से वे भूख के मारे वापिस भाग रहे है।
2. कश्मीर में अपनी सेना पर पत्थर फेंकने वालो को पैसा नही मिलने पर पत्थरबाजी बंद हो गयी है।
3. दाऊद अपना करोड़ो का कालाधन कौन से बैंक में चेंज करवाएगा।
4. नक्सलियों द्वारा लूटा गया पैसा खाद बन जायेगा। बिहार समाचार से जानिए
5. छोटे मोटे गैंगस्टर के पास करोड़ो रूपये पड़े पड़े खत्म हो जायेंगे, क्योंकि वो बैंक नही आ सकते।
6. खाड़ी देशों से आने वाला हवाले का रूपया खत्म।
7. सट्टै का सारा पैसा खत्म क्योंकि नयी करंसी सिर्फ एक्सेचेज करने वालो के पास है।
8. जिन्होने कमरे भर भर के पैसे इकठे किये वो लोग रो रहे है।
9. जिनके खुदरा काम करके भी टैक्स नही देने से महंगाई बढ़ गयी थी वो काबू में आ जायेगी।
10. पढ़े लिखे लोग अब प्लास्टिक मनी का उपयोग करेंगे।
इतने पर भी नरेंद्र मोदी जी अकेले गालियां खा रहे है।
मेरा आपसे अनुरोध है कि मोदी जी का समर्थन करें। कोई मोदीजी या मोदीजी के इस फैसले का विरोध करे तो उसे सही जवाब दें।
हमारे देश को सही दिशा में ले जा रहे है मोदी जी। कुछ बातें तो सचमुच गर्व करने योग्य हैं।
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे अपने ट्विटर पर मात्र 13 लोगों को फॉलो करते हैं उनमें से एक नरेंद्र मोदी हैं।
अमेरिका से मात्र 3 देश हॉटलाइन पर ट्रम्प या ओबामा से सीधे बात कर सकते हैं। उनमे से एक भारत है।
रूस के पुतिन से मात्र दो देश अमेरिका और भारत हॉटलाइन पर सीधे बात कर सकते हैं। जबकि अन्य देशों को ओबामा या पुतिन से बात करने के लिए 10 दिन पूर्व स्वीकृति लेनी पड़ती है।
और ये सब नरेंद्र मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हुआ है।
Urjit Patel and Mukesh Ambani Relationship in Hindi
आप स्वयं भारत की बढ़ती हैसियत का अंदाज़ा लगाइये। कुछ लोग ५००-१००० के नोटों के विमुद्रीकरण पर जिओ, अम्बानी और RBI गवर्नर उर्जित पटेल के बारे में झूठी अफवाह फैला रहे हैं। सच्चाई यहाँ देखें :-
१. उर्जित पटेल 11 जनवरी 2013 (UPA/कांग्रेस सरकार के समय) से रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर हैं। इसलिए वरिष्ठ और योग्यता के आधार पर उन्हें ही गवर्नर बनाया गया।
मोदी सरकार ने तो केवल प्रमोशन दिया है। सरकार को पता था अगर सरकार किसी को भी अप्पोइंट करेगी तो विवाद होगा। सरकार ने विवाद से बचने के लिए ऐसा किया।
२. कुछ लोग उर्जित पटेल को मुकेश अम्बानी का बहनोई बता रहे हैं तो कुछ साडू बता रहे हैं। मुकेश अम्बानी की दो बहनें हैं, दीप्ति सलगावकर जिसके पति का नाम दत्ताराज सलगावकर है और नीना कोठारी जिसके पति श्याम कोठारी थे जिनका निधन हो चुका है।
मुकेश अम्बानी की पत्नी नीता अम्बानी की केवल एक बहन है जिसका नाम ममता दलाल है और उसने शादी नहीं की है। उर्जित पटेल का दूर दूर तक अम्बानी से कोई रिश्ता नहीं है।
३. मुकेश अम्बानी द्वारा जियो या अन्य किसी भी प्रोजेक्ट में लगाया गया पैसा रिलाइंस और उसके शेयर धारकों का है। यहाँ सारा लेन देन बैंकिंग प्रणाली के तहत होता है। सेबी, ट्राई और दूसरी सरकारी संस्थाओं की कड़ी निगरानी और नियमों के दायरे में होता है।
विरोधियों और कालाधन रखने वालों के भ्रामक प्रचार से बचें और लोगों को जागरूक बनाये
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बुधवार, 14 दिसंबर 2016
Benefits of Golden triangle tour with Other Tourist locations
When we heard about the tour that is called golden triangle, we start imagine that tour started from National Capital of India, Delhi and included all the tourist destinations of Delhi, lal qila, qutub minar, humayun thomb, lotus temple, Iskcon temple, Bidla mandir, Jantar mantar, and other prominent locations of Delhi, Yes, you are right if you thinks about the these destinations of Delhi, I am sure, there are so many other locations would be in Delhi that must be seen by you, when your travel agent start sight-seen for you.
But if we are spending more than 7 days in our tour or travel then why only golden triangle, why not we include some other tourist destinations those are near or in the way of Golden triangle, like we can visit Haridwar, Rishikesh or some more destination of Uttrakhand, and this holy tour give us a great energy for our spiritual life. And you can share with your friends that you completed golden triangle tour with hardwar and rishikesh.
Now when we are visiting Agra or Taj Mahal we can move to Mathura and Vrindavan, these are also holy places of Uttar Pradesh, where we can enjoy the stories of Lord Sri Krishna of their time, the spiritual power is still there and you feel it when you enter that area.
And our final destination is Jaipur, but why only jaipur, you can visit Jaishalmair, udaipur and Pushkar, and if possible you can see amer fort, RanThambore etc, means this tour is like Golden Triangle Tour with RanThambore.
Now if you have some more time and money, means afford the cost of flight tickets to save time of have time to save cost of tickets of flights and move by train, so in both conditions you can visit near by locations like Gujrat, Mumbai and pune, in Gujrat you can visit Surat, Kachh ka Ran and so many other historical locations of 10th and 11th centuries, and Somnath Temple will be the important destination of your journey.
But if you are planning to visit Mumbai and Goa, this is a good decision to cover these 2 locations during your golden triangle tour, because so many times we think that will visit after some time, but that is not possible in our busy life schedule, so enjoy Golden Triangle tour with Goa
What should we plan before go on Travel vacation
first of all we should check the health conditions of every travelling person, means are they physically fit or not, because in some places you have to go by feet, so need to stamina, and have some patent medicine for headache, stomach pain, fever and other instant decisions, because in the tour some people can get tired and due to this their body get pain or they get fever, or may be their digestion system get tucked, these can be the common problems of people.
Have a strong rope, so that in case of problem you can help to each other, before visiting any place you can divide persons in the groups as per their interest, because those love historical explanation, they never love romantic explanation of any monuments, so their can be interest clash, to avoid this, one tour operator of coordinator take this responsibility, you can judge this in your 1st visit of any place.
Have a good journey with family and friends, and make it with India Best Tour Package.
But if we are spending more than 7 days in our tour or travel then why only golden triangle, why not we include some other tourist destinations those are near or in the way of Golden triangle, like we can visit Haridwar, Rishikesh or some more destination of Uttrakhand, and this holy tour give us a great energy for our spiritual life. And you can share with your friends that you completed golden triangle tour with hardwar and rishikesh.
Now when we are visiting Agra or Taj Mahal we can move to Mathura and Vrindavan, these are also holy places of Uttar Pradesh, where we can enjoy the stories of Lord Sri Krishna of their time, the spiritual power is still there and you feel it when you enter that area.
And our final destination is Jaipur, but why only jaipur, you can visit Jaishalmair, udaipur and Pushkar, and if possible you can see amer fort, RanThambore etc, means this tour is like Golden Triangle Tour with RanThambore.
Now if you have some more time and money, means afford the cost of flight tickets to save time of have time to save cost of tickets of flights and move by train, so in both conditions you can visit near by locations like Gujrat, Mumbai and pune, in Gujrat you can visit Surat, Kachh ka Ran and so many other historical locations of 10th and 11th centuries, and Somnath Temple will be the important destination of your journey.
But if you are planning to visit Mumbai and Goa, this is a good decision to cover these 2 locations during your golden triangle tour, because so many times we think that will visit after some time, but that is not possible in our busy life schedule, so enjoy Golden Triangle tour with Goa
What should we plan before go on Travel vacation
first of all we should check the health conditions of every travelling person, means are they physically fit or not, because in some places you have to go by feet, so need to stamina, and have some patent medicine for headache, stomach pain, fever and other instant decisions, because in the tour some people can get tired and due to this their body get pain or they get fever, or may be their digestion system get tucked, these can be the common problems of people.
Have a strong rope, so that in case of problem you can help to each other, before visiting any place you can divide persons in the groups as per their interest, because those love historical explanation, they never love romantic explanation of any monuments, so their can be interest clash, to avoid this, one tour operator of coordinator take this responsibility, you can judge this in your 1st visit of any place.
Have a good journey with family and friends, and make it with India Best Tour Package.
शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2016
Love poems in hindi
हिंदी भाषा के कई जाने माने लेखक हुए है, जिन्होंने हिंदी की कई प्रेम प्रधान कविताये लिख कर जान सामान्य के प्रेम प्रदर्शन के मार्ग को प्रसस्त किया है, आखिर कवी के हृदय में क्या होता है जब वो प्रेम प्रधान कवियायें लिखता है, और किसकी छवि उसकी आँखों में होती होगी जब वो लिखता होगा, जैसे अभी नवोदित कवी कुमार विस्वास की एक कविता के धूम मचाई हुयी है जिसके बोल कुछ इस तरह से है
की कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की वैचेनी तो बस अम्बर समझता है
मेँ तुझसे दूर केसा हूँ तू मुझसे दूर केसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
इस कविता पहले कई कवियों शब्दो के जादू प्रेमी प्रेमिकाओं के ह्रदय की बातो को एक दूसरे तक पहुचाया उनमे से कुछ लेखको की कविताओ की कुछ लाइन
[१ ]
सर्व सार सौन्दर्य निहित हो तेरे अधरों पर आया
तू जल में थल नव में फिरती जैसे माया
न जाने कब किसे मिले तू
मुझको तो दिखती बस छाया
[२]
अम्बर का आधार तुम्ही हो
धरती की धारण क्षमता हो
निश्चल निर्मल प्रेम तुम्ही हो
तुम करुणा तुम ममता हो
ये कविताये शुद्ध कड़ी बोली की कविताये है और शुध्द परिष्कृत संस्कृत के शब्दो को समावेशित किया गया है, कुछ विद्वान अंग्रेजी के शब्दो के माध्यम से भी हिंदी की कविताये लिखते है, कुछ कविताये ऐसी भी है।
Read love poems in hindi
की कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की वैचेनी तो बस अम्बर समझता है
मेँ तुझसे दूर केसा हूँ तू मुझसे दूर केसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
इस कविता पहले कई कवियों शब्दो के जादू प्रेमी प्रेमिकाओं के ह्रदय की बातो को एक दूसरे तक पहुचाया उनमे से कुछ लेखको की कविताओ की कुछ लाइन
[१ ]
सर्व सार सौन्दर्य निहित हो तेरे अधरों पर आया
तू जल में थल नव में फिरती जैसे माया
न जाने कब किसे मिले तू
मुझको तो दिखती बस छाया
[२]
अम्बर का आधार तुम्ही हो
धरती की धारण क्षमता हो
निश्चल निर्मल प्रेम तुम्ही हो
तुम करुणा तुम ममता हो
ये कविताये शुद्ध कड़ी बोली की कविताये है और शुध्द परिष्कृत संस्कृत के शब्दो को समावेशित किया गया है, कुछ विद्वान अंग्रेजी के शब्दो के माध्यम से भी हिंदी की कविताये लिखते है, कुछ कविताये ऐसी भी है।
Read love poems in hindi
मंगलवार, 13 सितंबर 2016
Motivational dialogues from hindi movies
*_फिल्मों के 13 ऐसे Dialogue जो आपको कहीं हिम्मत नहीं हारने देंगे और सफलता पाने का जज्बा हमेशा जगाए रखेंगे_*......
1. *Sultan*
कोई तुम्हे तब तक नहीं हरा सकता जब तक तुम खुद से ना हार जाओ.
2. *3 Idiots*
कामयाबी के पीछे मत भागो, काबिल बनो , कामयाबी तुम्हारे पीछे झक मार कर आएगी.
3. *Dhoom 3*
जो काम दुनिया को नामुमकिन लगे, वही मौका होता है करतब दिखाने का.
4. *Badmaash Company*
बड़े से बड़ा बिजनेस पैसे से नहीं, एक बड़े आइडिया से बड़ा होता है.
5. *Yeh Jawaani Hai Deewani*
मैं उठना चाहता हूं, दौड़ना चाहता हूं, गिरना भी चाहता हूं....बस रुकना नहीं चाहता .
6. *Sarkar*
नजदीकी फायदा देखने से पहले दूर का नुकसान सोचना चाहिए.
7. *Namastey London*
जब तक हार नहीं होती ना....तब तक आदमी जीता हुआ रहता है.
8. *Chak De! India*
वार करना है तो सामने वाले के गोल पर नहीं, सामने वाले के दिमाग पर करो..
गोल खुद ब खुद हो जाएगा.
9. *Mary Kom*
कभी किसी को इतना भी मत डराओ कि डर ही खत्म हो जाए.
10. *Jannat*
जो हारता है, वही तो जीतने का मतलब जानता है.
11. *Happy New Year*
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं विनर और लूजर...
लेकिन जिंदगी हर लूजर को एक मौका जरूर देती है जिसमें वह विनर बन सकता है..
12. *Om shanti Om*
अगर किसी चिज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती हैं।
13. *Once upon time in Mumbai*
रास्ते की परवाह करुंगा तो मंजिल बुरा मान जायेगी।
1. *Sultan*
कोई तुम्हे तब तक नहीं हरा सकता जब तक तुम खुद से ना हार जाओ.
2. *3 Idiots*
कामयाबी के पीछे मत भागो, काबिल बनो , कामयाबी तुम्हारे पीछे झक मार कर आएगी.
3. *Dhoom 3*
जो काम दुनिया को नामुमकिन लगे, वही मौका होता है करतब दिखाने का.
4. *Badmaash Company*
बड़े से बड़ा बिजनेस पैसे से नहीं, एक बड़े आइडिया से बड़ा होता है.
5. *Yeh Jawaani Hai Deewani*
मैं उठना चाहता हूं, दौड़ना चाहता हूं, गिरना भी चाहता हूं....बस रुकना नहीं चाहता .
6. *Sarkar*
नजदीकी फायदा देखने से पहले दूर का नुकसान सोचना चाहिए.
7. *Namastey London*
जब तक हार नहीं होती ना....तब तक आदमी जीता हुआ रहता है.
8. *Chak De! India*
वार करना है तो सामने वाले के गोल पर नहीं, सामने वाले के दिमाग पर करो..
गोल खुद ब खुद हो जाएगा.
9. *Mary Kom*
कभी किसी को इतना भी मत डराओ कि डर ही खत्म हो जाए.
10. *Jannat*
जो हारता है, वही तो जीतने का मतलब जानता है.
11. *Happy New Year*
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं विनर और लूजर...
लेकिन जिंदगी हर लूजर को एक मौका जरूर देती है जिसमें वह विनर बन सकता है..
12. *Om shanti Om*
अगर किसी चिज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती हैं।
13. *Once upon time in Mumbai*
रास्ते की परवाह करुंगा तो मंजिल बुरा मान जायेगी।
रविवार, 28 अगस्त 2016
winning strategy in Hindi
जीत की रणनीति
*Story of the day* – कछुआ और खरगोश – वो कहानी जो आपने नहीं सुनी…
आपने कछुए और खरगोश की कहानी ज़रूर सुनी होगी, *just to remind you;* short में यहाँ बता देता हूँ:
एक बार खरगोश को अपनी तेज चाल पर घमंड हो गया और वो जो मिलता उसे रेस लगाने के लिए *challenge* करता रहता।
कछुए ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली।
रेस हुई। खरगोश तेजी से भागा और काफी आगे जाने पर पीछे मुड़ कर देखा, कछुआ कहीं आता नज़र नहीं आया, उसने मन ही मन सोचा कछुए को तो यहाँ तक आने में बहुत समय लगेगा, चलो थोड़ी देर आराम कर लेते हैं, और वह एक पेड़ के नीचे लेट गया। लेटे-लेटे कब उसकी आँख लग गयी पता ही नहीं चला।
उधर कछुआ धीरे-धीरे मगर लगातार चलता रहा। बहुत देर बाद जब खरगोश की आँख खुली तो कछुआ फिनिशिंग लाइन तक पहुँचने वाला था। खरगोश तेजी से भागा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और कछुआ रेस जीत गया।
*Moral of the story: Slow and steady wins the race.* धीमा और लगातार चलने वाला रेस जीतता है।
ये कहानी तो हम सब जानते हैं, अब आगे की कहानी देखते हैं:
रेस हारने के बाद खरगोश निराश हो जाता है, वो अपनी हार पर चिंतन करता है और उसे समझ आता है कि वो *overconfident* होने के कारण ये रेस हार गया…उसे अपनी मंजिल तक पहुँच कर ही रुकना चाहिए था।
अगले दिन वो फिर से कछुए को दौड़ की चुनौती देता है। कछुआ पहली रेस जीत कर आत्मविश्वाश से भरा होता है और तुरंत मान जाता है।
रेस होती है, इस बार खरगोश बिना रुके अंत तक दौड़ता जाता है, और कछुए को एक बहुत बड़े अंतर से हराता है।
*Moral of the story: Fast and consistent will always beat the slow and steady.* तेज और लगातार चलने वाला धीमे और लगातार चलने वाले से हमेशा जीत जाता है।
यानि *slow and steady* होना अच्छा है लेकिन *fast and consistent* होना और भी अच्छा है।
कहानी अभी बाकी है जी….
इस बार कछुआ कुछ सोच-विचार करता है और उसे ये बात समझ आती है कि जिस तरह से अभी रेस हो रही है वो कभी-भी इसे जीत नहीं सकता।
वो एक बार फिर खरगोश को एक नयी रेस के लिए चैलेंज करता है, पर इस बार वो रेस का रूट अपने मुताबिक रखने को कहता है। खरगोश तैयार हो जाता है।
रेस शुरू होती है। खरगोश तेजी से तय स्थान की और भागता है, पर उस रास्ते में एक तेज धार नदी बह रही होती है, बेचारे खरगोश को वहीँ रुकना पड़ता है। कछुआ धीरे-धीरे चलता हुआ वहां पहुँचता है, आराम से नदी पार करता है और लक्ष्य तक पहुँच कर रेस जीत जाता है।
*Moral of the story: Know your core competencies and work accordingly to succeed.* पहले अपनी *strengths* को जानो और उसके मुताबिक काम करो जीत ज़रुर मिलेगी.
कहानी अभी भी बाकी है जी …..
इतनी रेस करने के बाद अब कछुआ और खरगोश अच्छे दोस्त बन गए थे और एक दुसरे की ताकत और कमजोरी समझने लगे थे। दोनों ने मिलकर विचार किया कि अगर हम एक दुसरे का साथ दें तो कोई भी रेस आसानी से जीत सकते हैं।
इसलिए दोनों ने आखिरी रेस एक बार फिर से मिलकर दौड़ने का फैसला किया, पर इस बार *as a competitor* नहीं बल्कि *as a team* काम करने का निश्चय लिया।
दोनों स्टार्टिंग लाइन पे खड़े हो गए…. *get set go* …. और तुरंत ही खरगोश ने कछुए को ऊपर उठा लिया और तेजी से दौड़ने लगा। दोनों जल्द ही नदी के किनारे पहुँच गए। अब कछुए की बारी थी, कछुए ने खरगोश को अपनी पीठ बैठाया और दोनों आराम से नदी पार कर गए। अब एक बार फिर खरगोश कछुए को उठा फिनिशिंग लाइन की ओर दौड़ पड़ा और दोनों ने साथ मिलकर रिकॉर्ड टाइम में रेस पूरी कर ली। दोनों बहुत ही खुश और संतुष्ट थे, आज से पहले कोई रेस जीत कर उन्हें इतनी ख़ुशी नहीं मिली थी।
*Moral of the story: Team Work is always better than individual performance.* टीम वर्क हमेशा व्यक्तिगत प्रदर्शन से बेहतर होता है।
*Individually* चाहे आप जितने बड़े *performer* हों लेकिन अकेले दम पर हर मैच नहीं जीता सकते।
अगर लगातार जीतना है तो आपको टीम में काम करना सीखना होगा, आपको अपनी काबिलियत के आलावा दूसरों की ताकत को भी समझना होगा। और जब जैसी *situation* हो, उसके हिसाब से टीम की *strengths* को *use* करना होगा
शनिवार, 27 अगस्त 2016
who is lord krishna in hindi
भगवान कृष्ण कौन है
*भगवान श्री कृष्ण*.....🌹
भगवान् *श्री कृष्ण* को अलग अलग स्थानों में अलग अलग नामो से जाना जाता है।
* उत्तर प्रदेश में कृष्ण या गोपाल गोविन्द इत्यादि नामो से जानते है।
* राजस्थान में श्रीनाथजी या ठाकुरजी के नाम से जानते है।
* महाराष्ट्र में बिट्ठल के नाम से भगवान् जाने जाते है।
* उड़ीसा में जगन्नाथ के नाम से जाने जाते है।
* बंगाल में गोपालजी के नाम से जाने जाते है।
* दक्षिण भारत में वेंकटेश या गोविंदा के नाम से जाने जाते है।
* गुजरात में द्वारिकाधीश के नाम से जाने जाते है।
* असम ,त्रिपुरा,नेपाल इत्यादि पूर्वोत्तर क्षेत्रो में कृष्ण नाम से ही पूजा होती है।
* मलेशिया, इंडोनेशिया, अमेरिका, इंग्लैंड, फ़्रांस इत्यादि देशो में कृष्ण नाम ही विख्यात है।
* गोविन्द या गोपाल में "गो" शब्द का अर्थ गाय एवं इन्द्रियों , दोनों से है। गो एक संस्कृत शब्द है और ऋग्वेद में गो का अर्थ होता है मनुष्य की इंद्रिया...जो इन्द्रियों का विजेता हो जिसके वश में इंद्रिया हो वही गोविंद है गोपाल है।
* श्री कृष्ण के पिता का नाम वसुदेव था इसलिए इन्हें आजीवन "वासुदेव" के नाम से जाना गया। श्री कृष्ण के दादा का नाम शूरसेन था..
* श्री कृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के राजा कंस की जेल में हुआ था।
* श्री कृष्ण ने 16000 राजकुमारियों को असम के राजा नरकासुर की कारागार से मुक्त कराया था और उन राजकुमारियों को आत्महत्या से रोकने के लिए मजबूरी में उनके सम्मान हेतु उनसे विवाह किया था। क्योंकि उस युग में हरण की हुयी स्त्री अछूत समझी जाती थी और समाज उन स्त्रियों को अपनाता नहीं था।।
* श्री कृष्ण की मूल पटरानी एक ही थी जिनका नाम रुक्मणी था जो महाराष्ट्र के विदर्भ राज्य के राजा रुक्मी की बहन थी।। रुक्मी शिशुपाल का मित्र था और श्री कृष्ण का शत्रु ।
* श्री कृष्ण के धनुष का नाम सारंग था। शंख का नाम पाञ्चजन्य था। चक्र का नाम सुदर्शन था। उनकी प्रेमिका का नाम राधारानी था जो बरसाना के सरपंच वृषभानु की बेटी थी। श्री कृष्ण राधारानी से निष्काम और निश्वार्थ प्रेम करते थे। राधारानी श्री कृष्ण से उम्र में बहुत बड़ी थी। लगभग 6 साल से भी ज्यादा का अंतर था। श्री कृष्ण ने 14 वर्ष की उम्र में वृंदावन छोड़ दिया था।। और उसके बाद वो राधा से कभी नहीं मिले।
* श्री कृष्ण विद्या अर्जित करने हेतु मथुरा से उज्जैन मध्य प्रदेश आये थे। और यहाँ उन्होंने उच्च कोटि के ब्राह्मण महर्षि सान्दीपनि से अलौकिक विद्याओ का ज्ञान अर्जित किया था।।
* श्री कृष्ण की कुल 125 वर्ष धरती पर रहे । उनके शरीर का रंग गहरा काला था और उनके शरीर से 24 घंटे पवित्र अष्टगंध महकता था। उनके वस्त्र रेशम के पीले रंग के होते थे और मस्तक पर मोरमुकुट शोभा देता था। उनके सारथि का नाम दारुक था और उनके रथ में चार घोड़े जुते होते थे। उनकी दोनो आँखों में प्रचंड सम्मोहन था।
* श्री कृष्ण के कुलगुरु महर्षि शांडिल्य थे।
* श्री कृष्ण का नामकरण महर्षि गर्ग ने किया था l
* श्री कृष्ण ने गुजरात के समुद्र के बीचो बीच द्वारिका नाम की राजधानी बसाई थी। द्वारिका पूरी सोने की थी और उसका निर्माण देवशिल्पी विश्वकर्मा ने किया था।
* श्री कृष्ण को ज़रा नाम के शिकारी का बाण उनके पैर के अंगूठे मे लगा वो शिकारी पूर्व जन्म का बाली था,बाण लगने के पश्चात भगवान स्वलोक धाम को गमन कर गए।
* श्री कृष्ण ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अर्जुन को पवित्र गीता का ज्ञान रविवार शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन मात्र 45 मिनट में दे दिया था।
* श्री कृष्ण ने सिर्फ एक बार बाल्यावस्था में नदी में नग्न स्नान कर रही स्त्रियों के वस्त्र चुराए थे और उन्हें अगली बार यु खुले में नग्न स्नान न करने की नसीहत दी थी।
* श्री कृष्ण के अनुसार गौ हत्या करने वाला असुर है और उसको जीने का कोई अधिकार नहीं।
* श्री कृष्ण अवतार नहीं थे बल्कि अवतारी थे....जिसका अर्थ होता है "पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान्" न ही उनका जन्म साधारण मनुष्य की तरह हुआ था और न ही उनकी मृत्यु हुयी थी।
सर्वान् धर्मान परित्यजम मामेकं शरणम् व्रज
अहम् त्वम् सर्व पापेभ्यो मोक्षस्यामी मा शुच--
( भगवद् गीता अध्याय 18 )
*श्री कृष्ण* : "सभी धर्मो का परित्याग करके एकमात्र मेरी शरण ग्रहण करो, मैं सभी पापो से तुम्हारा उद्धार कर दूंगा,डरो मत
*श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी*
*हे नाथ नारायण वासुदेव* ...👏🏼
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण*..
*कृष्ण कृष्ण हरे हरे*..🌹
*राधेकृष्ण राधेकृष्ण* 🌹
🙏🏼
भगवान् *श्री कृष्ण* को अलग अलग स्थानों में अलग अलग नामो से जाना जाता है।
* उत्तर प्रदेश में कृष्ण या गोपाल गोविन्द इत्यादि नामो से जानते है।
* राजस्थान में श्रीनाथजी या ठाकुरजी के नाम से जानते है।
* महाराष्ट्र में बिट्ठल के नाम से भगवान् जाने जाते है।
* उड़ीसा में जगन्नाथ के नाम से जाने जाते है।
* बंगाल में गोपालजी के नाम से जाने जाते है।
* दक्षिण भारत में वेंकटेश या गोविंदा के नाम से जाने जाते है।
* गुजरात में द्वारिकाधीश के नाम से जाने जाते है।
* असम ,त्रिपुरा,नेपाल इत्यादि पूर्वोत्तर क्षेत्रो में कृष्ण नाम से ही पूजा होती है।
* मलेशिया, इंडोनेशिया, अमेरिका, इंग्लैंड, फ़्रांस इत्यादि देशो में कृष्ण नाम ही विख्यात है।
* गोविन्द या गोपाल में "गो" शब्द का अर्थ गाय एवं इन्द्रियों , दोनों से है। गो एक संस्कृत शब्द है और ऋग्वेद में गो का अर्थ होता है मनुष्य की इंद्रिया...जो इन्द्रियों का विजेता हो जिसके वश में इंद्रिया हो वही गोविंद है गोपाल है।
* श्री कृष्ण के पिता का नाम वसुदेव था इसलिए इन्हें आजीवन "वासुदेव" के नाम से जाना गया। श्री कृष्ण के दादा का नाम शूरसेन था..
* श्री कृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के राजा कंस की जेल में हुआ था।
* श्री कृष्ण ने 16000 राजकुमारियों को असम के राजा नरकासुर की कारागार से मुक्त कराया था और उन राजकुमारियों को आत्महत्या से रोकने के लिए मजबूरी में उनके सम्मान हेतु उनसे विवाह किया था। क्योंकि उस युग में हरण की हुयी स्त्री अछूत समझी जाती थी और समाज उन स्त्रियों को अपनाता नहीं था।।
* श्री कृष्ण की मूल पटरानी एक ही थी जिनका नाम रुक्मणी था जो महाराष्ट्र के विदर्भ राज्य के राजा रुक्मी की बहन थी।। रुक्मी शिशुपाल का मित्र था और श्री कृष्ण का शत्रु ।
* श्री कृष्ण के धनुष का नाम सारंग था। शंख का नाम पाञ्चजन्य था। चक्र का नाम सुदर्शन था। उनकी प्रेमिका का नाम राधारानी था जो बरसाना के सरपंच वृषभानु की बेटी थी। श्री कृष्ण राधारानी से निष्काम और निश्वार्थ प्रेम करते थे। राधारानी श्री कृष्ण से उम्र में बहुत बड़ी थी। लगभग 6 साल से भी ज्यादा का अंतर था। श्री कृष्ण ने 14 वर्ष की उम्र में वृंदावन छोड़ दिया था।। और उसके बाद वो राधा से कभी नहीं मिले।
* श्री कृष्ण विद्या अर्जित करने हेतु मथुरा से उज्जैन मध्य प्रदेश आये थे। और यहाँ उन्होंने उच्च कोटि के ब्राह्मण महर्षि सान्दीपनि से अलौकिक विद्याओ का ज्ञान अर्जित किया था।।
* श्री कृष्ण की कुल 125 वर्ष धरती पर रहे । उनके शरीर का रंग गहरा काला था और उनके शरीर से 24 घंटे पवित्र अष्टगंध महकता था। उनके वस्त्र रेशम के पीले रंग के होते थे और मस्तक पर मोरमुकुट शोभा देता था। उनके सारथि का नाम दारुक था और उनके रथ में चार घोड़े जुते होते थे। उनकी दोनो आँखों में प्रचंड सम्मोहन था।
* श्री कृष्ण के कुलगुरु महर्षि शांडिल्य थे।
* श्री कृष्ण का नामकरण महर्षि गर्ग ने किया था l
* श्री कृष्ण ने गुजरात के समुद्र के बीचो बीच द्वारिका नाम की राजधानी बसाई थी। द्वारिका पूरी सोने की थी और उसका निर्माण देवशिल्पी विश्वकर्मा ने किया था।
* श्री कृष्ण को ज़रा नाम के शिकारी का बाण उनके पैर के अंगूठे मे लगा वो शिकारी पूर्व जन्म का बाली था,बाण लगने के पश्चात भगवान स्वलोक धाम को गमन कर गए।
* श्री कृष्ण ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अर्जुन को पवित्र गीता का ज्ञान रविवार शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन मात्र 45 मिनट में दे दिया था।
* श्री कृष्ण ने सिर्फ एक बार बाल्यावस्था में नदी में नग्न स्नान कर रही स्त्रियों के वस्त्र चुराए थे और उन्हें अगली बार यु खुले में नग्न स्नान न करने की नसीहत दी थी।
* श्री कृष्ण के अनुसार गौ हत्या करने वाला असुर है और उसको जीने का कोई अधिकार नहीं।
* श्री कृष्ण अवतार नहीं थे बल्कि अवतारी थे....जिसका अर्थ होता है "पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान्" न ही उनका जन्म साधारण मनुष्य की तरह हुआ था और न ही उनकी मृत्यु हुयी थी।
सर्वान् धर्मान परित्यजम मामेकं शरणम् व्रज
अहम् त्वम् सर्व पापेभ्यो मोक्षस्यामी मा शुच--
( भगवद् गीता अध्याय 18 )
*श्री कृष्ण* : "सभी धर्मो का परित्याग करके एकमात्र मेरी शरण ग्रहण करो, मैं सभी पापो से तुम्हारा उद्धार कर दूंगा,डरो मत
*श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी*
*हे नाथ नारायण वासुदेव* ...👏🏼
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण*..
*कृष्ण कृष्ण हरे हरे*..🌹
*राधेकृष्ण राधेकृष्ण* 🌹
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गुरुवार, 25 अगस्त 2016
Sri raam janm aarti in Hindi
श्री राम जन्म आरती
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी।।
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता।।
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता।।
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै।।
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै।।
माता पुनि बोली सो मति डौली तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा।।
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा।।
मंगलवार, 23 अगस्त 2016
असहिष्णु भारत
पहले विश्व युद्ध में 85 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था ...
दुसरे विश्व युद्ध की शुरुवात 1939 में हुई ..इसमें मरने वालों की आधिकारिक संख्या 7 करोड़ से अधिक थी ...इन दोनों युद्धों में कुल 16 देशों ने भाग लिया ..इसमें से 15 इसाई देश थे और एक मुस्लिम देश तुर्की भी शामिल था ..दूसरा विश्व युद्ध 9 अगस्त 1945 के दिन यानी जापान पर एटम बम गिराने वाले दिन समाप्त हुआ ...अगर आप आकड़ों पर नज़र डालें तो एक अनुमान के मुताबिक इस्लाम ने अपने जन्म से लेकर अब तक अपने धर्म के प्रचार में दुनिया भर में 270 करोड़ लोगों की हत्या की ..ईसाईयों ने पुरे यूरोप और एशिया मिलाकर 110 करोड़ इंसानों की हत्या केवल कैथोलिक चर्च के कहने पर की ..जिसमे 90 लाख महिलायें थी ...दुनिया को सभ्यता का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका में दस करोड़ "मय सभ्यता" के लोगों की हत्या स्पेन के पादरियों के नेतृत्व में कर दी गयी। सोवियत संघ में स्टालिन ने 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा ..हिटलर ने 60 लाख यहूदियों को मारा ....आप ये सारी घटनाए गूगल पर सर्च कर सकते हैं ...अमेरिका ने 70 के दशक में लेबनान पर हमला किया ..अस्सी के दशक में अफगानिस्तान पर हमला किया ..नब्बे के दशक में सोमालिया पर हमला किया .....वहीँ ईराक ने नब्बे के दशक में ही कुवैत पर हमला किया ...21वी शताब्दी में अमेरिका ने फिर ईराक पर हमला किया ......यानी इसाई और मुस्लिम देशों ने दुसरे मुस्लिम और इसाई देशों पर अपने प्रभुत्व और व्यवसायिक हित के लिए हमले किये और करोड़ों लोगों का खून बहाया .....मुसलमानों ने तो भारत में 7वी शताब्दी से ही हिन्दुवों का खून बहाना शुरू कर दिया था .......80 के दशक से अकेले काश्मीर में ही 2 लाख से ज्यादा हिन्दुओ की हत्या हो चुकी है .... आज इस्लाम दुनिया में सबसे ज्यादा ज्यादा मारकाट करने वाला साम्प्रदाय बन चुका है .....टाइम्स ऑफ़ इंडिया के एक लेख के अनुसार 2012 में इंडोनेशिया के मुसलमानों ने वहां के ईसाईयों को इस्लाम कुबूल करने की धमकी दी ...और ना कबूल करने की दशा में गला काट देने को कहा गया ....इसके बाद हजारों की संख्या में ईसाईयों ने इस्लाम कूबुला .....उन्हें खतना करवाना पड़ा ....ताकि उनकी मुस्लिम के रूप में पहचान हो सके .....
अल्जीरिया सालों से इस्लामिक कट्टरपंथियों और वहां की सेना के संघर्ष में पिस रहा है ...नाईजेरिया में मुसलमानों का खुनी संघर्ष चरम पे है ....वहां ईसाईयों के चर्चो को जला दिया गया ...मिस यूनिवर्स के कार्यक्रम के दौरान this day नामक स्थानीय अखबार का दफ्तर इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा जला दिया गया ...केन्या में वहां की लोकतान्त्रिक सरकार के विरुद्ध वहां के मुस्लिम संघठनो ने जेहाद का ऐलान किया ....सूडान में गृह युद्ध के दौरान मुसलमनो और ईसाईयों में भयंकर युद्ध हुवा ...19वी शताब्दी के मध्य में यानी 1860 में लेबनान में वहां के ईसाईयों की हत्या मुसलमानों ने की ....सत्तर के दशक में लेबनान में गृह युद्ध छिड़ गया जो नब्बे की दशक की सुरुवात में जाकर खत्म हुवा जिसमे 1 लाख से अधिक लेबनानी मारे गए ...हज़ारों औरतों का सड़कों पर बलात्कार किया गया .... पाकिस्तान 68 सालों में लाखों हिन्दू, ईसाई, बलूची, अहमदिया और शियाओं को पुलिस और सैनिकों से कटवा दिया... अब ध्यान दीजिये उपरोक्त सभी युद्धों और मार काट खून खराबे में मुस्लमान और इसाई देश शामिल थे .....लेकिन भारत जिसने मानव सभ्यता की शुरुवात से लेकर आज तक किसी भी देश पर हमला नहीं किया उसके सैनिक सालों से जेहादयों के पत्थर खा रहे किसी को उन्हे लगने वाले पत्थर तो नहीं दिखे पर पेलेट गन के छर्रे 57 मुस्लिम देश अपने पिछवाडे मे महसूस कर रहे भारत आज दुनिया का सबसे असहिष्णु देश बताया जा रहा है और हिन्दू को सबसे बड़ा अराजकवादी .........पोस्ट पढ़िए और थोडा विचार कीजिये कौन अराजक है इस्लाम, इसाई या सनातनी हिन्दू
दुसरे विश्व युद्ध की शुरुवात 1939 में हुई ..इसमें मरने वालों की आधिकारिक संख्या 7 करोड़ से अधिक थी ...इन दोनों युद्धों में कुल 16 देशों ने भाग लिया ..इसमें से 15 इसाई देश थे और एक मुस्लिम देश तुर्की भी शामिल था ..दूसरा विश्व युद्ध 9 अगस्त 1945 के दिन यानी जापान पर एटम बम गिराने वाले दिन समाप्त हुआ ...अगर आप आकड़ों पर नज़र डालें तो एक अनुमान के मुताबिक इस्लाम ने अपने जन्म से लेकर अब तक अपने धर्म के प्रचार में दुनिया भर में 270 करोड़ लोगों की हत्या की ..ईसाईयों ने पुरे यूरोप और एशिया मिलाकर 110 करोड़ इंसानों की हत्या केवल कैथोलिक चर्च के कहने पर की ..जिसमे 90 लाख महिलायें थी ...दुनिया को सभ्यता का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका में दस करोड़ "मय सभ्यता" के लोगों की हत्या स्पेन के पादरियों के नेतृत्व में कर दी गयी। सोवियत संघ में स्टालिन ने 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा ..हिटलर ने 60 लाख यहूदियों को मारा ....आप ये सारी घटनाए गूगल पर सर्च कर सकते हैं ...अमेरिका ने 70 के दशक में लेबनान पर हमला किया ..अस्सी के दशक में अफगानिस्तान पर हमला किया ..नब्बे के दशक में सोमालिया पर हमला किया .....वहीँ ईराक ने नब्बे के दशक में ही कुवैत पर हमला किया ...21वी शताब्दी में अमेरिका ने फिर ईराक पर हमला किया ......यानी इसाई और मुस्लिम देशों ने दुसरे मुस्लिम और इसाई देशों पर अपने प्रभुत्व और व्यवसायिक हित के लिए हमले किये और करोड़ों लोगों का खून बहाया .....मुसलमानों ने तो भारत में 7वी शताब्दी से ही हिन्दुवों का खून बहाना शुरू कर दिया था .......80 के दशक से अकेले काश्मीर में ही 2 लाख से ज्यादा हिन्दुओ की हत्या हो चुकी है .... आज इस्लाम दुनिया में सबसे ज्यादा ज्यादा मारकाट करने वाला साम्प्रदाय बन चुका है .....टाइम्स ऑफ़ इंडिया के एक लेख के अनुसार 2012 में इंडोनेशिया के मुसलमानों ने वहां के ईसाईयों को इस्लाम कुबूल करने की धमकी दी ...और ना कबूल करने की दशा में गला काट देने को कहा गया ....इसके बाद हजारों की संख्या में ईसाईयों ने इस्लाम कूबुला .....उन्हें खतना करवाना पड़ा ....ताकि उनकी मुस्लिम के रूप में पहचान हो सके .....
अल्जीरिया सालों से इस्लामिक कट्टरपंथियों और वहां की सेना के संघर्ष में पिस रहा है ...नाईजेरिया में मुसलमानों का खुनी संघर्ष चरम पे है ....वहां ईसाईयों के चर्चो को जला दिया गया ...मिस यूनिवर्स के कार्यक्रम के दौरान this day नामक स्थानीय अखबार का दफ्तर इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा जला दिया गया ...केन्या में वहां की लोकतान्त्रिक सरकार के विरुद्ध वहां के मुस्लिम संघठनो ने जेहाद का ऐलान किया ....सूडान में गृह युद्ध के दौरान मुसलमनो और ईसाईयों में भयंकर युद्ध हुवा ...19वी शताब्दी के मध्य में यानी 1860 में लेबनान में वहां के ईसाईयों की हत्या मुसलमानों ने की ....सत्तर के दशक में लेबनान में गृह युद्ध छिड़ गया जो नब्बे की दशक की सुरुवात में जाकर खत्म हुवा जिसमे 1 लाख से अधिक लेबनानी मारे गए ...हज़ारों औरतों का सड़कों पर बलात्कार किया गया .... पाकिस्तान 68 सालों में लाखों हिन्दू, ईसाई, बलूची, अहमदिया और शियाओं को पुलिस और सैनिकों से कटवा दिया... अब ध्यान दीजिये उपरोक्त सभी युद्धों और मार काट खून खराबे में मुस्लमान और इसाई देश शामिल थे .....लेकिन भारत जिसने मानव सभ्यता की शुरुवात से लेकर आज तक किसी भी देश पर हमला नहीं किया उसके सैनिक सालों से जेहादयों के पत्थर खा रहे किसी को उन्हे लगने वाले पत्थर तो नहीं दिखे पर पेलेट गन के छर्रे 57 मुस्लिम देश अपने पिछवाडे मे महसूस कर रहे भारत आज दुनिया का सबसे असहिष्णु देश बताया जा रहा है और हिन्दू को सबसे बड़ा अराजकवादी .........पोस्ट पढ़िए और थोडा विचार कीजिये कौन अराजक है इस्लाम, इसाई या सनातनी हिन्दू
रविवार, 21 अगस्त 2016
अवसर वादी समाज
भारतीय समाज आजदी के बाद से ही यूँ तो संक्रमन काल में चल रहा था पर 21वि सदी में ये संक्रमण बहुत तेज़ी से फैलने लगा है ।
आज ओलिंपिक में भारत की 2 महिलाओ ने महज 2 पदक जीने है और तो हर तरफ बस महिलाओ की ही जय जय कार है । उनके कोच को कोई नही पूछ रहा है जबकि वो भी पुरुष ही है ।
हा अगर कोई पुरुष जीतता तो समाज का एक वर्ग जिसे मै पूर्ण संक्रामक अवसरवादी कहता हूँ जरूर ये सबीत कर देता की ये जीत सिर्फ उसकी नही है उसके पीछे महिलाओ के योगदान की है ।
मुखे याद है जब 1991 में विश्वनाथन आनंद को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला था तो टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक पूरा लेख छपा था उनकी पत्नी और माता जी को लेकर ।
लेख था राजा के जीत के लिए रानिया हकदार । आज इन दो महिलाओ के पीछे कोई नही है क्या । आज समाज वर्षो से पुरुषो ले समाज के प्रति योगदान को नकार कर महज महिलाओ के महिमा मण्डन में लगा है
आज पुरुष होना एक गाली जैसा लग रहा है । जबकि पुरुष होने का मेरा कोई दोष नही है । में भी एक भाई हूँ पति हूँ पुत्र हूँ पिता हूँ अगर में न हूँ तो फिर ये रिश्ते कौन निभहेगा ।
समाज हम पुरुषो को महिलाओ से कुछ कहने नही देता ये कह कर की अगर तुम्हारी बहिन या बेटी होती तो और ये बात किसी महिला से नही पुछि की अगर तुम्हारे कारण जो इस पुरश के साथ हो रहा है अगर तुम्हारे भाई के साथ होता तो ।
समाज की हिममत नही है किसी महिला से ये पूछने की क्योंकि ऐसा पूछने पर समाज को उस महिला के सैज खड़े उसके पिता भाई पुत्र और पति उसकी रक्षा के लिए दिख रहे है । और जिसके साथ नही दीखते उसे समाज बिलकुल भाव नही देता
आज ओलिंपिक में भारत की 2 महिलाओ ने महज 2 पदक जीने है और तो हर तरफ बस महिलाओ की ही जय जय कार है । उनके कोच को कोई नही पूछ रहा है जबकि वो भी पुरुष ही है ।
हा अगर कोई पुरुष जीतता तो समाज का एक वर्ग जिसे मै पूर्ण संक्रामक अवसरवादी कहता हूँ जरूर ये सबीत कर देता की ये जीत सिर्फ उसकी नही है उसके पीछे महिलाओ के योगदान की है ।
मुखे याद है जब 1991 में विश्वनाथन आनंद को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला था तो टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक पूरा लेख छपा था उनकी पत्नी और माता जी को लेकर ।
लेख था राजा के जीत के लिए रानिया हकदार । आज इन दो महिलाओ के पीछे कोई नही है क्या । आज समाज वर्षो से पुरुषो ले समाज के प्रति योगदान को नकार कर महज महिलाओ के महिमा मण्डन में लगा है
आज पुरुष होना एक गाली जैसा लग रहा है । जबकि पुरुष होने का मेरा कोई दोष नही है । में भी एक भाई हूँ पति हूँ पुत्र हूँ पिता हूँ अगर में न हूँ तो फिर ये रिश्ते कौन निभहेगा ।
समाज हम पुरुषो को महिलाओ से कुछ कहने नही देता ये कह कर की अगर तुम्हारी बहिन या बेटी होती तो और ये बात किसी महिला से नही पुछि की अगर तुम्हारे कारण जो इस पुरश के साथ हो रहा है अगर तुम्हारे भाई के साथ होता तो ।
समाज की हिममत नही है किसी महिला से ये पूछने की क्योंकि ऐसा पूछने पर समाज को उस महिला के सैज खड़े उसके पिता भाई पुत्र और पति उसकी रक्षा के लिए दिख रहे है । और जिसके साथ नही दीखते उसे समाज बिलकुल भाव नही देता
शनिवार, 20 अगस्त 2016
बेटों का क्या दोष है
आज हमारा समाज बेटो को पूरी तरह से उपेक्षित महसूस कराने में लगा है । हर तरफ बस बेटियो के ही गूंज है । कही खबर आती है की डॉक्टर बेटी होने पर फीस नही लेता और पुरे अस्पताल में मिठाइयां बाट देता है । कही खबर आती है की बेटियो ने नाम रोशन किया । कही खबर आती है की इस गाव में बेटी होने पर मनाई जाती है खुसिया और बेटा होने पर मानता है मातम ।
आज काफी दिनों बाद मन बहुत उदास हुआ तो सोचा लिख ही डालू की बेटो का क्या दोष है अगर लोग चाहते है की उनके घर में बेटा हो । बेटा होना बेटे के लिए कोई सुख की सेज नही होती लोग बेटा इसलिए चाहते है की उनकी अपूर्ण इक्षाये पूरी हो सकते उसके काम में हाथ बताये व्यक्ति के बुढ़ापे का सहारा बने ।
अगर आप भी पुरुष है तो मेहसूस तो किया ही होगा की घर के बाहर लड़कियो के कारण लड़को को कितनी जिल्लत झेलने को मिलती है और ये जिल्लत देने वाले पुरुष ही होते है और अगर कुछ कहो तो एक ही जबाब अगर तुमारी बहिन होती तब भी क्या तुम यही कहते । ये एक ऐसा जबाब है जिसके बाद कोई लड़का पलट कर प्रश्न नही करता । पर आज तक किसी ने भी लड़को की इस होती बेज्जती पर किसी लड़की से पूछा की अगर ये सब तुम्हारे भाई के साथ होता तो क्या तुमको अच्छा लगता ।
मुखे किसी लड़की से उम्मीद भी नही है की वो ये कहेगी की अगर मेरे भाई के साथ होता तो मुझे बुरा लगता । हो सकता है लड़की खुद ही अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए बोल दे की मेरा भाई होता तो खुद ही सीट छोड़ देता या कुछ और भी बोल सकती है ।
ज्यादातर जिल्लत कॉलेज में या बस में सीट के लिए होती है । लडकिया आगे की सीट पर बैठेगी भले ही वो देर से आये और बस में कंडक्टर किसी को भी उठा देता था लेडीज को सीट देदो । वो एक तरफ नैतिकता के नाम पर हम पुरुषो से त्याग करबाता था वाही दूसरी ओर अगर लडकिया कुछ बेहतर कर पाती तो एक ही नारा होता था की हमने साबित क्र दिया की हम लड़को से कम नही है ।
पता नही वो कौन लोग है जो हमारे घरो में घुस कर लड़का और लड़की को या यु कहो की बहिन भाई को प्रतिद्वंदी बना गए । आज हर लड़की को लड़का एक चोर लुटेरा एयर बलात्कारी लगता है । कुछ कानून भी बन गए की अगर लड़की घुरि तो जेल । क्या है ये ये केसा लोकतंत्र है जहा समानता के नाम पर लड़को को निचा बनाया जा रहा है ।
आज काफी दिनों बाद मन बहुत उदास हुआ तो सोचा लिख ही डालू की बेटो का क्या दोष है अगर लोग चाहते है की उनके घर में बेटा हो । बेटा होना बेटे के लिए कोई सुख की सेज नही होती लोग बेटा इसलिए चाहते है की उनकी अपूर्ण इक्षाये पूरी हो सकते उसके काम में हाथ बताये व्यक्ति के बुढ़ापे का सहारा बने ।
अगर आप भी पुरुष है तो मेहसूस तो किया ही होगा की घर के बाहर लड़कियो के कारण लड़को को कितनी जिल्लत झेलने को मिलती है और ये जिल्लत देने वाले पुरुष ही होते है और अगर कुछ कहो तो एक ही जबाब अगर तुमारी बहिन होती तब भी क्या तुम यही कहते । ये एक ऐसा जबाब है जिसके बाद कोई लड़का पलट कर प्रश्न नही करता । पर आज तक किसी ने भी लड़को की इस होती बेज्जती पर किसी लड़की से पूछा की अगर ये सब तुम्हारे भाई के साथ होता तो क्या तुमको अच्छा लगता ।
मुखे किसी लड़की से उम्मीद भी नही है की वो ये कहेगी की अगर मेरे भाई के साथ होता तो मुझे बुरा लगता । हो सकता है लड़की खुद ही अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए बोल दे की मेरा भाई होता तो खुद ही सीट छोड़ देता या कुछ और भी बोल सकती है ।
ज्यादातर जिल्लत कॉलेज में या बस में सीट के लिए होती है । लडकिया आगे की सीट पर बैठेगी भले ही वो देर से आये और बस में कंडक्टर किसी को भी उठा देता था लेडीज को सीट देदो । वो एक तरफ नैतिकता के नाम पर हम पुरुषो से त्याग करबाता था वाही दूसरी ओर अगर लडकिया कुछ बेहतर कर पाती तो एक ही नारा होता था की हमने साबित क्र दिया की हम लड़को से कम नही है ।
पता नही वो कौन लोग है जो हमारे घरो में घुस कर लड़का और लड़की को या यु कहो की बहिन भाई को प्रतिद्वंदी बना गए । आज हर लड़की को लड़का एक चोर लुटेरा एयर बलात्कारी लगता है । कुछ कानून भी बन गए की अगर लड़की घुरि तो जेल । क्या है ये ये केसा लोकतंत्र है जहा समानता के नाम पर लड़को को निचा बनाया जा रहा है ।
दलित आखिर कब तक दलित बना रहेगा
दलित शब्द सुनते ही मन में ऐसे जनसमुदाय का बोध होता है जो गरीबी में जी रहा है जिसके पास जीने के लिए मूल भूत सुविधाये भी नही है शिक्षा और स्वास्थ हेतू उत्तम भोजन की व्यवस्था भी नही है और ये भी आज़ादी के 70 साल बाद । पर इसके लिए दोषी कौन है ।
जब देश आज़ाद हुआ था तब देश की जनसंख्या 40 या 50 करोड़ रही होगी । अंग्रेज जा चुके थे और सरकारी नौकरियों में लाखों पद खाली हुए थे तभी सरकार ने दलितों के लिए 17 प्रतिशत नौकरियों में आरक्छन कर दिया तो उस समय जो व्यक्ति 20 से 30 साल के बीच रहा होगा उसको नौकरी मिली होगी । जिसके पास जैसी शिक्षा होगी उस हिसाब से ।
और उसने अपने बच्चे पढ़ाये होंगे जो 20 साल बाद भी दलित का ठप्पा लगा कर पहुच गए नौकरी के लिये पढ़ाई के लिए और इस उभरते हुए दलित वर्ग ने अपनी उन्नति की चाह में ये भी नही सोचा की अभी उसके लाखो करोडो दलित भाईओ का उद्धार होना बाकि है । ये वर्ग तो बस अपनी उन्नति ही सर्वोपरि मान कर पूर्ण स्वार्थ पूर्ति के लिए आगे बढ़ता रहा ।
और फिर अगले 20 सालो में उनके ही वंशज जिन्होंने 1950 में बाजी मार ली थी ने फिर से दलित का ठप्पा लगा कर शिक्षा और नौकरी हथिया ली और वास्तविक दलित हर साल अपने अच्छे दिन आयेगे इस इनतज़र में बैठ जाया करता था ।
दलितों के लिए निर्धारित सीट पर न तो कोई स्वर्ण जा सकता है और न ही ले सकता है । वो सीट दलित को ही मिलेगी अब चाहे उसके पिता आईएएस हो या मंत्री उसको दलितों वाला लाभ मिलेगा ही ।
आज दलितों की जो स्तिथि है उसके लिए उनके ही सक्षम दलित भाई जिम्मेदार है जो उनके हिस्से की शिक्षा अनुदान और आरक्छन हड़प कर फेसबुक पर सवर्णों को गालिया देते है ।
जो भी सरकार आती है वो दलितों के उद्धार के वादे करती है हजारो योजनाये लागू करती है पर वो सब उनके हीं सक्षम भाई बंद दलित होने का नतकनकर के ले जाते है और वास्तविक दलित को ये लगता है की उनका हक़ सवर्ण अपनी जेबइ रखे है और उनको नही दे रहे है ।
जब देश आज़ाद हुआ था तब देश की जनसंख्या 40 या 50 करोड़ रही होगी । अंग्रेज जा चुके थे और सरकारी नौकरियों में लाखों पद खाली हुए थे तभी सरकार ने दलितों के लिए 17 प्रतिशत नौकरियों में आरक्छन कर दिया तो उस समय जो व्यक्ति 20 से 30 साल के बीच रहा होगा उसको नौकरी मिली होगी । जिसके पास जैसी शिक्षा होगी उस हिसाब से ।
और उसने अपने बच्चे पढ़ाये होंगे जो 20 साल बाद भी दलित का ठप्पा लगा कर पहुच गए नौकरी के लिये पढ़ाई के लिए और इस उभरते हुए दलित वर्ग ने अपनी उन्नति की चाह में ये भी नही सोचा की अभी उसके लाखो करोडो दलित भाईओ का उद्धार होना बाकि है । ये वर्ग तो बस अपनी उन्नति ही सर्वोपरि मान कर पूर्ण स्वार्थ पूर्ति के लिए आगे बढ़ता रहा ।
और फिर अगले 20 सालो में उनके ही वंशज जिन्होंने 1950 में बाजी मार ली थी ने फिर से दलित का ठप्पा लगा कर शिक्षा और नौकरी हथिया ली और वास्तविक दलित हर साल अपने अच्छे दिन आयेगे इस इनतज़र में बैठ जाया करता था ।
दलितों के लिए निर्धारित सीट पर न तो कोई स्वर्ण जा सकता है और न ही ले सकता है । वो सीट दलित को ही मिलेगी अब चाहे उसके पिता आईएएस हो या मंत्री उसको दलितों वाला लाभ मिलेगा ही ।
आज दलितों की जो स्तिथि है उसके लिए उनके ही सक्षम दलित भाई जिम्मेदार है जो उनके हिस्से की शिक्षा अनुदान और आरक्छन हड़प कर फेसबुक पर सवर्णों को गालिया देते है ।
जो भी सरकार आती है वो दलितों के उद्धार के वादे करती है हजारो योजनाये लागू करती है पर वो सब उनके हीं सक्षम भाई बंद दलित होने का नतकनकर के ले जाते है और वास्तविक दलित को ये लगता है की उनका हक़ सवर्ण अपनी जेबइ रखे है और उनको नही दे रहे है ।
सोमवार, 1 अगस्त 2016
शनिवार, 23 जुलाई 2016
Psychology of rioting and looting
क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि लोग दंगे और लूटपाट क्यों करते है । किसी के कहने भर से खून खराबे और तोड़फोड़ करने लगते है ।
शायद जीवन की भगदड़ में समय न मिला हो पर एक दिन ऐसे ही कांड में मेरी भी बस फंस गयी थे और कुछ देर के लिए मेरे लिए समय रुक गया और उस रुके हुए समय में मेने खूब दिमाग लगाया और कोशिश की ये जानने की क्यों लोग मानवता भूल कर हिंसा करने लगते है ।
क्योंकि हिंसा करने वाले लूट करने वाले सरकारी संपत्ति को नुकशान पहुचाने वाले आम जनता के लिए संकट खड़ा करने वाले किसी और ग्रह से नही आते वल्कि हमारे और आपके बीच के ही लोग है ।
पर केसे है ये लोग जो अपने लोगो को नही पहचान पाते और चल देते है एक अनजान सफ़र पर बिना ये सोचे की हम बापस आयेगे भी या नही या जो हम कर रहे है वही कोई हमारे साथ करे तो क्या हो ।
मैने बड़े करीब से देखा है इनलोगो को ये लोग आत्म विस्वास से हीन जीवन की इक्षा से रहित बिना किसी उद्देश्य के अपने शरीर का अपने ही पेरो पर बोझ ढोने वाले लोग है ।
इनको सिर्फ ये पता है की हमारा उद्धारक और प्राणस्वरूप प्रेरणा श्रोत वही है जो हमे एक दारू का पौआ देदे और 500 का नोट देदे इनके लिए ईश्वर या अल्लाह जैसे किसी भी सत्ता शक्ति का कोई अस्तित्व नही है ।
हा इनके लिए धन का अस्तित्व है और उन चीजो का जो इनको दिखती है जिनको ये चाहते है पर उनका इस्तेमाल कैसे किया जाता है इनको ये भी नही पता और इसलिए खुद इस्तेमाल किये जाते है ।
कुछ लोग अपने बड़े उद्देश्य की पूर्ति के लिए इनका छोटा सा उद्देश्य पूरा कर देते है और इनके भीतर बैठी कुंठा को अपने स्वार्थ की अग्नि से प्रज्ज्वलित कर देते है फिर ये इंजन की तरह चालू हो जाते है और इनके सूत्र संचालक अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए सरकार से सौदेबाजी करता है ।
दंगे और लूट के पीछे सिर्फ एक मनोविज्ञान है और वो है जीबन में कुछ न कर पाने की कुंठा और उसको कुछ लोग अपने स्वार्थ विरोधियो के विरुद्ध भड़का कर इनका इंजन चालू कर देते है और ये अपने आसपास के लोगो और वस्तुओ को निशाना बनाने लगते है बिना ये सोचे के कल को अगर मुशीबत आएगी तो शायद यही लोग और वस्तुए हमारे काम आती ।
शायद जीवन की भगदड़ में समय न मिला हो पर एक दिन ऐसे ही कांड में मेरी भी बस फंस गयी थे और कुछ देर के लिए मेरे लिए समय रुक गया और उस रुके हुए समय में मेने खूब दिमाग लगाया और कोशिश की ये जानने की क्यों लोग मानवता भूल कर हिंसा करने लगते है ।
क्योंकि हिंसा करने वाले लूट करने वाले सरकारी संपत्ति को नुकशान पहुचाने वाले आम जनता के लिए संकट खड़ा करने वाले किसी और ग्रह से नही आते वल्कि हमारे और आपके बीच के ही लोग है ।
पर केसे है ये लोग जो अपने लोगो को नही पहचान पाते और चल देते है एक अनजान सफ़र पर बिना ये सोचे की हम बापस आयेगे भी या नही या जो हम कर रहे है वही कोई हमारे साथ करे तो क्या हो ।
मैने बड़े करीब से देखा है इनलोगो को ये लोग आत्म विस्वास से हीन जीवन की इक्षा से रहित बिना किसी उद्देश्य के अपने शरीर का अपने ही पेरो पर बोझ ढोने वाले लोग है ।
इनको सिर्फ ये पता है की हमारा उद्धारक और प्राणस्वरूप प्रेरणा श्रोत वही है जो हमे एक दारू का पौआ देदे और 500 का नोट देदे इनके लिए ईश्वर या अल्लाह जैसे किसी भी सत्ता शक्ति का कोई अस्तित्व नही है ।
हा इनके लिए धन का अस्तित्व है और उन चीजो का जो इनको दिखती है जिनको ये चाहते है पर उनका इस्तेमाल कैसे किया जाता है इनको ये भी नही पता और इसलिए खुद इस्तेमाल किये जाते है ।
कुछ लोग अपने बड़े उद्देश्य की पूर्ति के लिए इनका छोटा सा उद्देश्य पूरा कर देते है और इनके भीतर बैठी कुंठा को अपने स्वार्थ की अग्नि से प्रज्ज्वलित कर देते है फिर ये इंजन की तरह चालू हो जाते है और इनके सूत्र संचालक अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए सरकार से सौदेबाजी करता है ।
दंगे और लूट के पीछे सिर्फ एक मनोविज्ञान है और वो है जीबन में कुछ न कर पाने की कुंठा और उसको कुछ लोग अपने स्वार्थ विरोधियो के विरुद्ध भड़का कर इनका इंजन चालू कर देते है और ये अपने आसपास के लोगो और वस्तुओ को निशाना बनाने लगते है बिना ये सोचे के कल को अगर मुशीबत आएगी तो शायद यही लोग और वस्तुए हमारे काम आती ।
शनिवार, 9 जुलाई 2016
Article 370 kya hai
आर्टिकल 370 या धारा 370 क्या है । आम तौर और हर भारतीय ने इसके बारे में सुना जरूर होगा । मगर ये है क्या ये किसी को नही पता ।
कोई कहता है इसके कारण कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला है जिसे कोई नही हटा सकता है और कोई कहता है इसको केंद्र सरकार हटा सकती है ।
पर ये वास्तव में एक अस्थायी उपवन्ध है जो तत कालीन नेहरू सरकार और जम्मू कश्मीर के राजा हरी सिंह के कारण प्रकश में आई । हरिसिंह पाकिस्तानियो के डर से भारत में मिलना तो चाहता था पर वो अपनी स्वाधीनता भी नही खोना चाहता था । वो चाहता था को सत्ता की वास्तविक बाग डोर उनके हाथ में हो और उसकी सीमाये भारतीय संघ की सेनाओ के द्वारा सुरक्षित बनी रहे ।
बस इसी बात को उसने नेहरू को समझाया की जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है ये में मानता हूँ पर सत्ता वास्तविक रूप से जम्मू कश्मीर की जनता में निहित हो यानि की कुछ ऐसा किया जाये जिससे हमारी स्वाधीनता सुनिश्चित बनी रहे ।
और जब जम्मू कश्मीर की जनता को लगने लगे की उनकी स्वाधीनता का कोई अलग से अस्तित्व नही है तो वो अपनी इस स्वाधीनता को भारत सरकार को बापस लौटा दे ।
पटेल जी ने एक प्रिवी पर्स की सनकल्पना दी थी जो जयपुर अलवर और उदयपुर के शासको के लिए थी की उनके राजमहल और जनता उनकी ही रहेगी तथा भारत सर्कार की तरफ से उनको 1000000 रूपये सालाना पेंशन दी जायगी जो मेह्गाई के साथ बढ़ती जायेगी और उनके वंशजो को भी मिलती रहेगी जब तक वो खुद लिख कर दे न दे की हमे ये सुविधाये नही चाहिए ।
नेहरू और आंबेडकर ने काफी विचार विमर्श के बाद ये निष्कर्ष निकाला की जम्मू कश्मीर को आर्टिकल 370 यानि की धरा 370 के अंतर्गत विशेष राज्य का दर्ज दे दिया जाये जिसके नौषर जम्मू कश्मीर पर भारत सरकार का कोई भी नियम वाद्यकारी नही होगा । जब राज्य को ये दर्जा दिया जा रहा था तब किसी ने भी नही सोचा होगा की राजा हरिसिंह तो मात्र एक मोहरा था असली दिमाग तो वहाँ के अलगाववादियो का था ।
जैसे ही भारत की सन्सद ने धारा 370 लागू की जम्मू कश्मीर की विधान सभा ने कुछ नियमो को पारित किया जैसे की जम्मू में कश्मीर में आपातकाल नही लगेगा। यहाँ राष्ट्रपति शासन नाम से नही वल्कि राज्यपाल शासन लागु किया जायेगा । यहाँ का झंडा अलग होगा । यहाँ की विधान सभा 5 साल के बजाये 6 साल की होगी ।
ये नियम बना कर इस विधान सभा ने राष्ट्रपति को अनुमोदन के लिये भेजा जिसे राजेंद्र प्रसाद जी ने लौटा दिया । फिर ये लोक सभा और राज्य सभा होते हुए फिर से राजेंद्र प्रसाद के पास भेज दिया गया । भारतीय सम्बिधान के अनुशार इस बार राष्ट्रपति को इस पर हस्ताक्षर करना वाध्यता हो गयी थी ।
कुल मिला कर धारा 370 को पहले जम्मू कश्मीर की विधान सभा में हटाने के लिए बहुमत किया जायेगा फिर राष्ट्रपति इसको हटा सकते है ऐसा हमारा मीडिया हमको बताता है प्ऱ सच में ये एक अस्थायी धारा है जिसे पहले लोकसभा फिर राज्य सभा और फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद हटाया जा सकता है ।
जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है इसलिए इसकी धारा 370 को हटाने के लिए एक अध्यादेश ही काफी है ।बस कुछ दिन मीडिया सही जान कर दिखाने लगे तो इसको हटाने में सिर्फ 1 दिन लगेगा ।
आर्टिकल 370 या धारा 370 कुछ नही है सिर्फ एक आर्टिकल है जिसे भारतीय संसद कभी भी बहुमत से हटा सकती है बदल सकती है और पूर्ण या आंशिक संसोधन कर सकती है ।
तो दोस्तों ये है धारा 370 की असलियत आप और जानकारी के लिए दुर्गादास बसु या सुभास कश्यप के द्वारा विवेचित भारत के सम्बिधान का अध्ययन करके धारा 370 से जुडी सभी भ्रंतियो को नष्ट कर सकते है ।
कोई कहता है इसके कारण कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला है जिसे कोई नही हटा सकता है और कोई कहता है इसको केंद्र सरकार हटा सकती है ।
पर ये वास्तव में एक अस्थायी उपवन्ध है जो तत कालीन नेहरू सरकार और जम्मू कश्मीर के राजा हरी सिंह के कारण प्रकश में आई । हरिसिंह पाकिस्तानियो के डर से भारत में मिलना तो चाहता था पर वो अपनी स्वाधीनता भी नही खोना चाहता था । वो चाहता था को सत्ता की वास्तविक बाग डोर उनके हाथ में हो और उसकी सीमाये भारतीय संघ की सेनाओ के द्वारा सुरक्षित बनी रहे ।
बस इसी बात को उसने नेहरू को समझाया की जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है ये में मानता हूँ पर सत्ता वास्तविक रूप से जम्मू कश्मीर की जनता में निहित हो यानि की कुछ ऐसा किया जाये जिससे हमारी स्वाधीनता सुनिश्चित बनी रहे ।
और जब जम्मू कश्मीर की जनता को लगने लगे की उनकी स्वाधीनता का कोई अलग से अस्तित्व नही है तो वो अपनी इस स्वाधीनता को भारत सरकार को बापस लौटा दे ।
पटेल जी ने एक प्रिवी पर्स की सनकल्पना दी थी जो जयपुर अलवर और उदयपुर के शासको के लिए थी की उनके राजमहल और जनता उनकी ही रहेगी तथा भारत सर्कार की तरफ से उनको 1000000 रूपये सालाना पेंशन दी जायगी जो मेह्गाई के साथ बढ़ती जायेगी और उनके वंशजो को भी मिलती रहेगी जब तक वो खुद लिख कर दे न दे की हमे ये सुविधाये नही चाहिए ।
नेहरू और आंबेडकर ने काफी विचार विमर्श के बाद ये निष्कर्ष निकाला की जम्मू कश्मीर को आर्टिकल 370 यानि की धरा 370 के अंतर्गत विशेष राज्य का दर्ज दे दिया जाये जिसके नौषर जम्मू कश्मीर पर भारत सरकार का कोई भी नियम वाद्यकारी नही होगा । जब राज्य को ये दर्जा दिया जा रहा था तब किसी ने भी नही सोचा होगा की राजा हरिसिंह तो मात्र एक मोहरा था असली दिमाग तो वहाँ के अलगाववादियो का था ।
जैसे ही भारत की सन्सद ने धारा 370 लागू की जम्मू कश्मीर की विधान सभा ने कुछ नियमो को पारित किया जैसे की जम्मू में कश्मीर में आपातकाल नही लगेगा। यहाँ राष्ट्रपति शासन नाम से नही वल्कि राज्यपाल शासन लागु किया जायेगा । यहाँ का झंडा अलग होगा । यहाँ की विधान सभा 5 साल के बजाये 6 साल की होगी ।
ये नियम बना कर इस विधान सभा ने राष्ट्रपति को अनुमोदन के लिये भेजा जिसे राजेंद्र प्रसाद जी ने लौटा दिया । फिर ये लोक सभा और राज्य सभा होते हुए फिर से राजेंद्र प्रसाद के पास भेज दिया गया । भारतीय सम्बिधान के अनुशार इस बार राष्ट्रपति को इस पर हस्ताक्षर करना वाध्यता हो गयी थी ।
कुल मिला कर धारा 370 को पहले जम्मू कश्मीर की विधान सभा में हटाने के लिए बहुमत किया जायेगा फिर राष्ट्रपति इसको हटा सकते है ऐसा हमारा मीडिया हमको बताता है प्ऱ सच में ये एक अस्थायी धारा है जिसे पहले लोकसभा फिर राज्य सभा और फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद हटाया जा सकता है ।
जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है इसलिए इसकी धारा 370 को हटाने के लिए एक अध्यादेश ही काफी है ।बस कुछ दिन मीडिया सही जान कर दिखाने लगे तो इसको हटाने में सिर्फ 1 दिन लगेगा ।
आर्टिकल 370 या धारा 370 कुछ नही है सिर्फ एक आर्टिकल है जिसे भारतीय संसद कभी भी बहुमत से हटा सकती है बदल सकती है और पूर्ण या आंशिक संसोधन कर सकती है ।
तो दोस्तों ये है धारा 370 की असलियत आप और जानकारी के लिए दुर्गादास बसु या सुभास कश्यप के द्वारा विवेचित भारत के सम्बिधान का अध्ययन करके धारा 370 से जुडी सभी भ्रंतियो को नष्ट कर सकते है ।
बुधवार, 6 जुलाई 2016
No need to follow more than one philosophy in your life
हमारे साथ सबसे होती है, की हम सबकी बात मनना चाहते है खुद को उदार मानसिकता का दिखने के लिए पर क्या वास्तव में हम अपने एक जीवन में सभी दर्शनों का पालन कर सकते है । क्या हम गौतम बुद्ध महावीर स्वामी गांधी जी और सुभास चन्द्र बोस स्वामी विवेका नन्द और दया नन्द सरस्वती सभी के दर्शनों पर एक साथ चल सकते है । शायद नही बिलकुल नही कभी नही ।
क्योंकि सभी का दर्शन अपने अपने अनुभवो के आधार पर बना है । जिसने जो अनुभव किया व्ही उसका दर्शन बन गया । जीवन में जो अपने अनुभव किया वो आपका दर्शन है । फिर हम कई उकने दर्शनों को पूरी तरह मान ले । हमे उनके दर्शनों को आधार मान कर अपना दर्शन बना लेना चाहिए ।
जैसे एक दर्शन है की एक शिष्य को उसके गुरु ने कहा की तुम पढ़ नही सकते क्योंकि तुम्हारे हाथ में रेखा ही नही है । तो उसने पत्तर से लकीर बना कर पढ़ना शुरू किया और वो विद्वान बन गया । ये तो है एक दर्शन जिसमे एक शिष्य ने गुरु की बात को मान कर उनके अनुशार पहले हाथ में लकीर बनाई फिर पढ़ाई शुरू की ।
दूसरा दर्शन है की एक गुरु अपने शिस्यो को समझ रहे थे घुड़ सवारी करने का सबसे जरुरी मन्त्र है की घोड़े पर काबू रखो उसको अपने नियंत्रण में रखो उसको ज्याद प्यार मत करो उस पर तरस मत करो नही तो वो घोडा अलसी हो जायेगा । इस पर एक षिश्य ने अपने घोड़े को अपने भाई की तरह प्रेम किया उसे रस्सी को अपने खुर तोडना सिखाया जिसका गुरु जी ने विरोध किया पर एक दिन गुरु जी अकेले थे तो कुछ अराजक तत्वों ने आश्रम में हमला कर दिया और जब गुरु जी ने मदद को पुकार तो वहा कोई नही था ।
सिर्फ उस शिष्य का घोडा था वो भी बंधा हुआ था क्योंकि शिष्य घर गया था । अब उस घोड़े को अपने खुर से रस्सी तोडना आता था इसलिए रस्सी तोड़ कर वो उनसे भीड़ गया और गुरि जो की जान बचा ली ।
अब अगर आप विवेका नन्द के विचार और दया नन्द के सभी विचार नही मान सकते । जहाँ विवेका नन्द सभी शास्त्रो का सम्मान करते है वही दयानंद जी सिर्फ वेदों का । तो आप दोनों को कैसे मान सकते है ।
हा आप सबके कुछ कुछ विचारो को लेकर के अपना खुद का दर्शन बनाओ वही आपके जीवन में सबसे ज्यादा आपके काम आएगा ।
क्योंकि सभी का दर्शन अपने अपने अनुभवो के आधार पर बना है । जिसने जो अनुभव किया व्ही उसका दर्शन बन गया । जीवन में जो अपने अनुभव किया वो आपका दर्शन है । फिर हम कई उकने दर्शनों को पूरी तरह मान ले । हमे उनके दर्शनों को आधार मान कर अपना दर्शन बना लेना चाहिए ।
जैसे एक दर्शन है की एक शिष्य को उसके गुरु ने कहा की तुम पढ़ नही सकते क्योंकि तुम्हारे हाथ में रेखा ही नही है । तो उसने पत्तर से लकीर बना कर पढ़ना शुरू किया और वो विद्वान बन गया । ये तो है एक दर्शन जिसमे एक शिष्य ने गुरु की बात को मान कर उनके अनुशार पहले हाथ में लकीर बनाई फिर पढ़ाई शुरू की ।
दूसरा दर्शन है की एक गुरु अपने शिस्यो को समझ रहे थे घुड़ सवारी करने का सबसे जरुरी मन्त्र है की घोड़े पर काबू रखो उसको अपने नियंत्रण में रखो उसको ज्याद प्यार मत करो उस पर तरस मत करो नही तो वो घोडा अलसी हो जायेगा । इस पर एक षिश्य ने अपने घोड़े को अपने भाई की तरह प्रेम किया उसे रस्सी को अपने खुर तोडना सिखाया जिसका गुरु जी ने विरोध किया पर एक दिन गुरु जी अकेले थे तो कुछ अराजक तत्वों ने आश्रम में हमला कर दिया और जब गुरु जी ने मदद को पुकार तो वहा कोई नही था ।
सिर्फ उस शिष्य का घोडा था वो भी बंधा हुआ था क्योंकि शिष्य घर गया था । अब उस घोड़े को अपने खुर से रस्सी तोडना आता था इसलिए रस्सी तोड़ कर वो उनसे भीड़ गया और गुरि जो की जान बचा ली ।
अब अगर आप विवेका नन्द के विचार और दया नन्द के सभी विचार नही मान सकते । जहाँ विवेका नन्द सभी शास्त्रो का सम्मान करते है वही दयानंद जी सिर्फ वेदों का । तो आप दोनों को कैसे मान सकते है ।
हा आप सबके कुछ कुछ विचारो को लेकर के अपना खुद का दर्शन बनाओ वही आपके जीवन में सबसे ज्यादा आपके काम आएगा ।
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